गोंदिया में रेलवे ओवर रेलवे ब्रिज का काम रफ्तार पर, लेकिन यात्रियों की मुश्किलें नहीं थम रहीं
गोंदिया, 2 जून 2025 – गोंदिया रेलवे स्टेशन पर आरओआर (रेलवे ओवर रेलवे) ब्रिज निर्माण का काम इन दिनों तेजी से चल रहा है। यह प्रोजेक्ट भारतीय रेलवे की एक महत्वपूर्ण योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य रेल यातायात को सुगम बनाना और दोहरी लाइन विस्तार में मदद करना है। हालांकि, निर्माण कार्य के चलते रेलवे मार्गों पर यातायात अस्थायी रूप से प्रभावित हो रहा है और स्थानीय नागरिकों के साथ यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
अंतिम निरीक्षण की तैयारी जोरों पर
रेलवे प्रशासन इस समय 4 और 5 जून को होने वाली मुख्य संरक्षा आयुक्त (CRS) की निरीक्षण यात्रा की तैयारी में जुटा है। इस निरीक्षण में ब्रिज की मजबूती, कार्य की गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का गहन परीक्षण किया जाएगा। यदि सभी पहलू संतोषजनक पाए जाते हैं, तो आरओआर ब्रिज के इस्तेमाल की अनुमति दी जाएगी।
रेलवे इंजीनियरों के मुताबिक, पुल का निर्माण तकनीकी रूप से जटिल था क्योंकि यह एक चालू रेलवे लाइन के ऊपर बनाया जा रहा है। इसके बावजूद, निर्माण कार्य तय समयसीमा के भीतर पूरा करने की कोशिश की जा रही है। अधिकारी मानते हैं कि यह ब्रिज भविष्य में रेल यातायात को सुचारू बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाएगा।
यात्रियों को हो रही असुविधा
हालांकि, जब एक बड़ी परियोजना निर्माणाधीन हो, तो उससे जुड़े कुछ अस्थायी दिक्कतें आम हैं — और यही इस समय यात्रियों और नागरिकों के साथ हो रहा है। कई ट्रेनों की गति धीमी कर दी गई है, कुछ ट्रेनों को आंशिक रूप से रद्द या डायवर्ट किया गया है। नतीजतन, यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचने में देरी हो रही है।
स्थानीय निवासी सीमा चौधरी बताती हैं, “हमें समझ है कि विकास जरूरी है, लेकिन सूचना व्यवस्था कमजोर है। कभी ट्रेन समय पर आती है, कभी नहीं – और स्टेशन पर कोई स्पष्ट सूचना नहीं मिलती।”
इसी तरह, एक कॉलेज छात्र अमित वर्मा का कहना है, “परीक्षा के लिए नागपुर जाना था, लेकिन ट्रेन रद्द हो गई। अब बस पकड़नी पड़ी। ये सब अचानक होता है, जिससे योजना बनाना मुश्किल हो जाता है।”
गोंदिया रोड पर भारी ट्रैफिक दबाव
रेलवे ओवरब्रिज और अंडरपास ब्रिज के कार्यों में देरी के कारण शहर की सड़कों पर भी ट्रैफिक का बोझ बढ़ गया है। खासकर गोंदिया रोड पर सिर्फ दोपहिया वाहनों की अनुमति होने से चारपहिया वाहन चालकों को लंबे चक्कर लगाकर वैकल्पिक मार्ग से गुजरना पड़ता है। इससे न सिर्फ ईंधन और समय की बर्बादी हो रही है, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी भी प्रभावित हो रही है।
व्यापारी वर्ग भी इस स्थिति से परेशान है। एक दुकानदार मनोज साहू कहते हैं, “ग्राहकों की आवाजाही पर असर पड़ा है। लोग बाजार आने से कतराते हैं क्योंकि सड़कें अव्यवस्थित हैं।”
प्रशासन की अपील – “थोड़ा और धैर्य रखें”
रेलवे और जिला प्रशासन दोनों ने नागरिकों से सहयोग की अपील की है। अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए काम में थोड़ा समय लग रहा है, लेकिन इसका परिणाम दीर्घकालीन लाभ देगा।
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “पुल के निर्माण में तकनीकी जांच, मिट्टी की मजबूती और इंजीनियरिंग के तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ही आगे बढ़ रहे हैं। यह कोई सामान्य सड़क नहीं, बल्कि दो रेलवे लाइनों के बीच का आरओआर है, जिसमें अतिरिक्त सावधानी जरूरी है।”
क्या उम्मीद की जा सकती है?
यदि मुख्य संरक्षा आयुक्त की जांच सफल रही, तो जून के दूसरे सप्ताह से पुल का उपयोग प्रारंभ किया जा सकता है। इससे जहां ट्रेनों की गति बढ़ेगी, वहीं रद्द या डायवर्ट की जा रही ट्रेनों की संख्या भी घटेगी।
यह पुल न केवल यात्रियों के लिए राहत का सबब बनेगा, बल्कि गोंदिया-बालाघाट मार्ग के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी सहायक सिद्ध होगा।